1-परमार वंश (Parmar Vansh) का आदिपुरुष / संस्थापक था – कनकपाल
2-‘गढ़वाल एन्शियण्ट एण्ड मौडर्न’ पुस्तक के लेखक थे – पातीराम
3-‘पुराना दरबार’ नमक राजप्रसाद स्थित है – टिहरी में
4-‘सभासार’ नामक ग्रंथ के लेखक थे – सुदर्शनशाह
5-गढ़राज्य में भाटों द्वारा रचित गीत कहलाते है – पवाड़ा या पैवाड़ा
6-‘भारतीय लोक साहित्य’ पुस्तक के लेखक हैं – श्याम प्रसाद
7-‘गढ़वाल की दिवंगत विभूतियाँ’ के लेखक हैं – भक्त दर्शन सिंह
8-‘मन्दाकिनी’ नामक पवित्र कुण्ड स्थित है – माउन्ट आबू में
9-‘गढ़वाल का इतिहास’ के लेखक हैं – पं. हरीकृष्ण रतुड़ी
10-‘गढ़वाल वर्णन’ के लेखक हैं – पं. हरीकृष्ण रतुड़ी
11-‘गढ़वाल जाति प्रकाश’ के लेखक हैं – बालकृष्ण भट्ट
12-‘कुमाऊँ का इतिहास’ के लेखक हैं – बद्रीदत्त पाण्डेय
13-1358 में गढ़राज्य की राजधानी ‘चाँदपुर गढ़ी’ से बदलकर श्रीनगर की गई – राजा अजयपाल के शासन काल में
14-मनोदय (ज्ञानोदय) पुस्तक के रचयिता थे – कवि भरत
15-गोरखनाथ पंथ के सन्यासी ‘सरनाथ’ का आवास स्थल था – देवलगढ़ में
16-‘शाह’ की उपाधि धारण करने वाला प्रथम गढ़वाल नरेश था – बलभद्र शाह
17-‘नक कट्टी रानी’ के नाम से प्रसिद्ध रानी थी – रानी कर्णवती
18-मुगल शहजादा ‘दादा शिकोह’ के पुत्र ‘सुलेमान शिकोह’ को आश्रय दिया – पृथ्वीपति शाह ने
19-‘गढ़ गीता संग्राम’ या ‘गणिका नाटक’ ग्रन्थ के लेखक थे – मोलाराम
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